कोश के वैज्ञानिक होने का मापदंड उसके क्रमबद्धता, सुव्यवस्थित, क्रमानुसार होने के साथ आज के आधुनिक समय में उसकी उपोयगिता से लिया जा सकता है. जब किसी ‘शब्द’ को कोश में प्रविष्ट करते हैं तो उसके पीछे कई प्रकार के तर्क होते हैं जैसे- वह शब्द कितना प्रसिद्ध है, प्रयोग में आने वाला है या नहीं, कितना उपयोगी है, उसकी आर्थीय संरचना किस प्रकार की है, इन प्रश्नगत तर्कों के आधार पर उस शब्द को कोश में प्रविष्ट किया जाता है और इस प्रकार से कोश सार्थकता की दृष्टि से उपयोगी होता है. जिसे हम वैज्ञानिक स्वरूप या ढांचा कहते हैं.
कोश को आधुनिक स्वरुप देने के लिए चित्र, रेखाचित्र का उपयोग भी आवश्यक है. कुछ कोश ऐसे भी होते हैं, जिनमें चित्रों की संख्या, रेखाचित्रों की संख्या बहुत होती है. तथा कुछ कोश ऐसे भी होते हैं जिसमें चित्रों, रेखाचित्रों का प्रयोग नहीं किया जाता है. ऐसी स्थिति में कोश में चित्रों, रेखाचित्रों के उपयोग का सही मापदंड निर्धारित होना चाहिए.
रूसी विद्वान ‘श्चेरबा’ ने कोश निर्माण संबंधी विचारों का परिचय देते हुए कोश का वैज्ञानिक विवेचन किया है. श्चेरबा ने कोश का उद्देश्य, उपयोगकर्ता तथा उसकी रचना प्रणाली के आधार पर नौ प्रकार के कोशों को बताया है.
‘’ There is good deal of truth in the statement that soviet scholars have excelled in the field of Lexicography –a field which though is Applied in nature yet, demands a full lenth treatment of its theoretical perspective and basic constructs. Without at present dream of developing model and method for lexicographic work. It is for this reason that soviet scholars recognized and field of Lexicography as one of the distinct activities of linguistics study’’
1- Reference (vade-Mecum) 6- Bilingual- BD
2- Academic – AD 7- Ideological- ID
3- Encyclopedia-EnD 8- Synchronic- SD
4- Thesaurus- Thd 9- Diachronic- DD
5- Explanatory-ExD
आज हमारे कोश की संकल्पना विशुद्ध शास्त्र के प्राचीन स्तर से हटकर आज के कोश वैज्ञानिक रचना प्रकिया के स्तर पर पहुँच गया है. ये कोश रुप विकास और अर्थ विकास की ऐतिहासिक प्रमाणिकता के साथ-साथ भाषा वैज्ञानिक सिद्धांत की संगति ढूंढने का पूर्ण प्रयत्न करते हैं. सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीन क्रातिं के फलस्वरुप कोश को एक नया रूप मिला है. जिसमें ई-लर्निंग की विशेष भूमिका है. आज के दिन में यदि कोई व्यक्ति विदेशी भाषा सीखना चाहे तो बड़ी आसानी से ‘ऑनलाइन कोश’ के माध्यम से सीख सकता है. वेब पर कोश के बढते कदम ई-लर्निंग और ई-शिक्षण के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रमों को भी सरल बना देते हैं. वेब आधरित कोश की कोई भौगौलिक सीमा नहीं होती है. आधुनिक कोश अब ग्लोबल हो चुका है. कोश का आधुनिक स्वरूप एवं निर्धारित मापदंडः-
१- अंतःक्रियात्मकता
- अंतःक्रियात्मकता पाठक और कोश के बीच
- पाठक के लिए किसी भी भाषा में कोश प्राप्त होने का अवसर
- ऑनलाइन के बाद विषय आधारित कोश
२- तैयारी
- इंटरनेट से जुडने की सुविधा
- प्रशिक्षण और शिक्षण कार्य में ऑनलाइन-ऑनगोइंग सहायता
- विदेशी भाषा को सीखने तथा अद्यतन बनाना
३- पाठक की भुमिका-
- अंतःक्रियात्मकता
- परिपक्वता
४- परिपकल्पना- - सभी भाषाओं के सम्पर्क में
- नये-नये शब्दों एवं अर्थों की जानकारी
- प्रचलित शब्दों का ही प्रयोग
- भारत के सभी क्षेत्रीय भाषाओं का एक साथ ऑनलाइन कोश
५- ई-कोश के सफल प्रयोग के लिए दो प्रमुख तत्वों की आवश्यकता - - कोश की संकल्पना
- संगणक का ज्ञान
वर्तमान युग में ‘आधुनिक कोश’ की संकल्पना और संरचना अधिक व्यापक है. ई-कोश एक ऐसे ज्ञान पर आधरित है जहाँ पाठक ऑनलाइन अपने विषय से संबंधित आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है.
Online Hindi Dictionaries_
http://www.shabdkosh.com
http://www.lexilogos.com/english/hindi_dic
http://www.websters-online-dictionary.org/.
http://utopianvision.co.uk/hindi/dictionary/
http://tamilcube.com/res/hindi_diction
http://explore.oneindia.inn/.../hindi/
http://www.hindienglishdictionary.org/
http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/platts/ http://www.infobankofindia.com/newdic/englishtohindi/gethindi.htm
http://wordanywhere.com/
http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/platts
http://www.gy.com/online/hiol.htm
http://www.3.aa.tufs.ac.jp/_kmach/hnd_la-e.htm
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धीरेन्द्र प्रताप सिंह