29 नवंबर 2009

नोम चॉम्स्की


नोम चॉम्स्की (7दिसंबर,1928 )
धीरेन्द्र प्रताप सिंह
पी–एच.डी.
भाषा–प्रौद्योगिकी


एवरम नोम चॉम्स्की प्रमुख भाषावैज्ञानिक दार्शनिक, राजनैतिक, एक्टिविस्ट लेखक एवं व्याख्याता हैं। संप्रति वे मसाचुएट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नालॉजी के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर भी हैं।
चॉम्स्की का जन्म 7 दिसंबर 1928 को अमेरिका के फिलाडेल्फिया प्रांत के इस्ट ओकलेन में हुआ था। इनके पिता यूक्रेन में जन्में श्री विलियम चॉम्स्की (1896–1977) थे, जो हीब्रू के शिक्षक एवं विद्वान थे। उनकी माता एल्सी चॉम्स्की बेलारूस से थी लेकिन वे अमेरिका में पली बढ़ी थीं।
नोम चॉम्स्की को जेनेरेटिव ग्रामर के सिद्धांत का प्रतिपादक एवं 20 वीं सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़ा योगदान कर्ता माना जाता है। उन्होंने जब मनोविज्ञान के ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक बी.एफ स्कीनर के पुस्तक ‘वर्बल बिहेवियर’ की आलोचना लिखी, जिसमें 1950 के दशक में व्यापक स्वीकृति प्राप्त व्यवहारवाद के सिद्धांत को चुनौती दी, तो इससे संज्ञानात्मक मनोविज्ञान में एक तरह की क्रांति का सूत्रपात हुआ। जिससे न सिफ‍र् मनोविज्ञान में अध्ययन एवं शोध प्रभावित हुआ बल्कि भाषा विज्ञान, समाजशास्त्र जैसे कई क्षेत्रों में आमूल चूल परिवर्तन आया।
‘आर्टस एंड ह्युमैनिटिक्स साइटेशन इंडेक्स’ के अनुसार 1980–92 के दैरान जितने शोधकर्ताओं एवं विद्वानों ने चॉम्स्की को उद्धृत किया है उतना शायद ही किसी जीवित लेखक को किया गया हो और इतना ही नहीं वे किसी भी समयावधि में आठवें सबसे बड़े उद्धृत किये गये लेखक हैं।
1960 के दशक के वियतनाम युद्ध की आलोचना में लिखी पुस्तक ‘द रिसपांसबिलिटी आफ इंटेलेक्चुअल्स’ के बाद चॉम्स्की खास तौर पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया के आलोचक एवं राजनीति के विद्वान के रूप में प्रसिद्ध हुए। वामपंथ एवं अमेरिका की राजनीति में आज वे एक प्रखर बौद्धिक के रूप में जाने एवं प्रतिष्ठित किये जाते हैं।
चॉम्स्की को पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय से 1955 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होनें अपने शोध का काफी महत्वपूर्ण हिस्सा हावर्ड विश्वविद्यालय से हावर्ड जूनियर फेलो के रूप में पूरा किया था । उनके डाक्टरेट उपाधि के लिए किया गया शोध बाद में पुस्तकाकार के रूप में 1957 में ‘सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स’ के रुप में सामने आया, जिसे उस समय तक की श्रेष्ठ पुस्तकों में शुमार किया गया था।
1955 में ही चॉम्स्की मसाचुएट्स तकनीकी संस्थान (MIT) में नियुक्त हुए और 1961 में उन्हें आधुनिक भाषा एवं भाषा विज्ञान विभाग में प्रोफेसर का दर्जा दिया गया। 1966–1976 तक वे फेरारी पी. बोर्ड प्रोफेसर नियुक्त हुए। 2007 की स्थिति के अनुसार वे लगातार 52 वर्षों तक MIT में प्रध्यापन का कार्य कर चुके हैं।
चॉम्स्कीयन भाषाविज्ञान की शुरूआत उनकी पुस्तक ‘सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स’ से हुई मानी जा सकती है जो उनके पी–एच.डी. के शोध, ‘लाजिकल स्ट्रक्चर्स आफ लिंग्विस्टिक थीयरी’ का परिमार्जित रूप था। इस पुस्तक के द्वारा चॉम्स्की ने पूर्व स्थापित संरचनावादी भाषा वैज्ञानिकों की मान्यताओं को चुनौती देकर ‘ट्रांसफार्मेशनल ग्रामर’ की बुनियाद रखी। इस व्याकरण ने स्थापित किया कि शब्दों के समुच्चय का अपना व्याकरण होता है जिसे औपचारिक व्याकरण द्वारा निरूपित किया जा सकता है और खासकर सन्दर्भ युक्त व्याकरण द्वारा जिसे ट्र्रांसफारर्मेशनल गा्रमर के नियमों द्वारा व्याख्यायित किया जा सकता है।
चॉम्स्की की महानता इससे स्पष्ट हो जाती है कि एक प्रसिद्ध कम्प्यूटर वैज्ञानिक डोनाल्ड क्नूथ तो यहां तक कहते हैं कि चॉम्स्की की किताब से मैं इतना प्रभावित हुआ कि 1961 में अपने साइंटिफिक प्रोजेक्ट के दौरान इसे हमेशा अपने साथ रखता था और सोचता था कि भाषा के इस गणितीय व्याख्या का प्रयोग मैं प्रोग्रामन के लिए कैसे कर सकता हूं।
चॉम्स्की के अन्य कार्यों में एक महत्वपुर्ण कार्य मास मीडिया की व्याख्या का भी रहा है जिसकी वजह से मास मीडिया के क्षेत्र में खासकर अमेरीकी मीडिया और उसके गठन, कार्य प्रणाली एवं सीमाएं काफी खुलकर सामने आयीं और बहस का मुद्दा बन गयीं ।
एडवर्ड सईद एवं चॉम्स्की की किताब ‘मेन्युफैक्चरिंग कांसेट द पॉलिटीकल इकोनॉमी आफ मास मीडिया’ जो 1988 में प्रकाशित हुई, उसमें मीडिया के ‘प्रोपोगैंडा मॉडल’ की विशद् चर्चा की गई और इसकी कई दृष्टांतो के माध्यम से विवेचना की गयी ।

चॉम्स्की को प्राप्त अकादमिक उपलब्धियॉं, सम्मान एंव पुरस्कार–
1. 1969 में जॉन लाक संभाषण, आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय।
2. 1970 में वर्टेड रसेल स्मारक संभाषण, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय।
3. 1972 नेहरू स्मारक व्याख्यान, नई दिल्ली।
4. 1977 हुइजिंग संभाषण, लेदेन।
5. 1997 अकादमिक स्वतंता पर देइप स्मारक व्याख्यान, केपटाउन।

नोम चॉम्स्की को विश्व के निम्नलिखित विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां भी प्राप्त हैं –
1. लंदन विश्वविद्यालय।
2. शिकागो विश्वविद्यालय।
3. कोलकाता विश्वविद्यालय।
4. दिल्ली विश्वविद्यालय।
5. मसाचुएट्स विश्वविद्यालय।
6 पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय।
7 टोरंटो विश्वविद्यालय।
8 एथेंस विश्वविद्यालय।

2 टिप्‍पणियां:

  1. नोम चोम्स्की ने एड्वर्ड सईद के साथ मिलकर “manufacturing consent” नहीं लिखा बल्कि उन्होंने एडवर्ड हरमन के साथ मिलकर उक्त किताब में propaganda model दिया. एडवर्ड सईद के अध्ययन का क्षेत्र मीडिया नहीं था, उन्हें फ़िलीस्तीनी अस्मिता के लिए खूब काम किया और उनके प्रसिद्ध सिद्धांत ’प्राच्यवाद’ (orientalism) के लिए उनको दुनिया भर में प्रसिद्धि मिली जबकि हरमन के चिंतन का विषय मीडिया है और उसने चोम्स्की के साथ मिलकर मीडिया के ही एक अवधरणा प्रोपागैन्डा पर बेहतरीन काम किया. एडवर्ड से शुरू होने वाले नाम का पुछल्ला भर बदल देने से सब कुछ उलट- पुलट हो जाता है, क्यों?

    जवाब देंहटाएं
  2. नोम चोम्स्की ने एडवर्ड हरमन के साथ मिलकर “manufacturing consent” लिखा था । भूलवश 'सईद' लिखा गया है। इसके लिये क्षमाप्रार्थी हैं।
    manufacturing consent के बारे में जानने के लिये इस लिन्क पर जाकर देख सकते हैं- http://www.thirdworldtraveler.com/Herman%20/Manufacturing_Consent.html

    जवाब देंहटाएं