30 मार्च 2010

भाषा और कंप्यूटर

योगेश विजय उमाले
एम ए हिंदी भाषा प्रौद्योगिकी
संसार के ज्ञान को जानने के लिए भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। भाषा मानव जीवन तथा समाज का अभिन्न अंग है। इसके द्वारा न केवल विचारों, सूचनाओं तथा भावों का संप्रेषण होता है, अपितु तथ्यों के आकलन, चिंतन एंव समस्त व्यवहार का आधार भी भाषा है।
रोमन यॉकोब्सन के अनुसार भाषा संप्रेषण का माध्यम है। और यह संप्रेषण वक्ता और श्रोता के बीच में होता है। इसको समझने के निए रोमन यॉकोब्सन के निम्न मानचित्र से सहायता की जा सकती है।
संदर्भ (CONTEXT )
वक्ता(ADDRESSER) संदेश(MESSAGE) श्रोता (ADDRESSEE)
संपर्क(CONTACT) भाषा तंत्र (CODE)
उपर्युक्त मानचित्र से समझा जा सकता है कि वक्ता यानी बोलने वाला व्यक्ति जब किसी व्यक्ति से बात करता है, अर्थात श्रोता को संदेश प्रेषित करता है तो यह संदेश किसी भाषा-तंत्र (CODE) के माध्यम से दिया जाता है। प्रत्येक संदेश किसी -न- किसी ''परिप्रेक्ष्य'' में दिया जा सकता है। और यह भी कि यह संदेश किसी संपर्क या संदर्भ के द्वारा दिया जाता है।
रोमन यॉकोब्सन के इस सिध्दांत को प्रकार्यात्मकवादी (प्राग संप्रदाय) के नाम से जाना जाता है।
यह तो सर्वविदित है, कि कंप्यूटर एक मशीन है। किसी भी मशीन का निर्माण किसी विशिष्ट प्रयोजन से होता है, और उस मशीन की अपेक्षाओं के अनुसार उससे काम लिया जाता है। मानव और मशीन के बीच संबंध काफी पुराना है। वर्तमान में मानव पैन्ट के चैन से लेकर पेन के नोक तक के निर्माण में मशीन का उपयोग करते हैं।
कंप्यूटर मशीन में स्वचलित कंप्यूटर के निर्माण के बाद में कृत्रिम बुध्दी (ARTIFICIAL INTELLIGENCE) के चिप लगाए जाते हैं और उसे कंप्यूटर की भाषा में प्रोग्राम अर्थात क्रमानुदेश दिए जाते हैं। एक समूची कंप्यूटर प्रणाली के मुख्यत: तीन अंग होते हैं। इसे निम्नलिखित मानचित्र से समझा जा सकता है-



हार्डवेयर प्राणली प्राणाली सॉप्टवेयर यूजर
1) हार्डवेयर प्राणाली :-
कंप्यूटर के वे भाग जिन्हें हम आँखों से देख सकते और हाथ से स्पर्श कर सकते हैं। अर्थात यांत्रिक, विद्युतीय तथा इलेक्ट्रॉनिक भाग कंप्यूटर हार्डवेयर के नाम से जाने जाता है। इसके अंतर्गत CPU, Monitor, Keyboard, Mouse, Printer आदि होते हैं।
2) प्रणाली सॉफ्टवेयर :-
हार्डवेयर तभी काम करेगा जब प्रणाली सॉफ्ट्वेयर काम करेगा। इन्हें मूलत: अंग्रेजी में तैयार किया जाता है, और अंग्रेजी तथा हिन्दी और भारतीय भाषाओं से काम करने वाले कंप्यूटरों में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है। ये हार्डवेयर को निर्देश देता है, ताकि डाटा को प्रोसेस किया जा सके ओर वांछित सूचना को प्राप्त किया जा सके। इसके अंतर्गत डॉस, विडोंज, यूनिक्स, शब्द संसाधन, डेटा संसाधन आते हैं।
3) यूजर :-
प्रणाली सॉफ्टवेयर तो कंप्यूटर के हार्डवेयर को काम करने योग्य बनाता है। लेकिन सॉफ्टवेयर के लिए विशिष्ट अनुप्रयोग के सॉफ्टवेयर के पैकेज भी तैयार किए जाते हैं। इस प्रोग्राम पर कार्य करने वाला व्यक्ति जो प्रोग्राम पर काम करता है, और आउटपुट प्राप्त करता है, उसे यूजर की श्रेणी में रखा जाता है।
कंप्यूटर वस्तुत: न तो अंग्रेजी समझता है न ही हिन्दी या अन्य कोई भाषा। उसकी अपनी भाषा होती है। यह द्विआधारी अंको (Binary) अर्थात 0 से 1 अंको पर कार्य करता है। पास्कल, कोबॉल, सी-डीबेस आदि कंप्यूटर भाषाएँ हैं। इन भाषाओं के माध्यम से ही कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किये जाते हैं। इस प्रकार कंप्यूटर भाषा की दृष्टि से स्वतंत्र है और् कंप्यूटर का प्रोग्राम कंप्यूटर में लगे कम्पाइलर (अनुवादक) के माध्यम से काम करता है।
उपर्युक्त विवेचनों से समझा जा सकता है कि भाषा एक संरचना है, लेकिन यह भाषा संरचना संप्रेषण के माध्यम से वक्ता और श्रोता के अभिव्यक्ति ,विचार, आकलन तथा चितंन के साधन का कार्य करती है। यह संरचना संप्रेषण के आधार पर झुकी हुई दिखाई देती है। इसलिए भाषा एक प्रकार्य का कार्य करती हुई दिखाई देती है।
कंप्यूटर एक मशीन है। इसका निर्माण विशिष्ट प्रयोजन के लिए किया गया। लेकिन धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकास होते हुए, स्वचलित कंप्यूटर का विकास होने के वजह से कंप्यूटर में कृत्रिम बुध्दि (Artificial Intelligence) के चिप लगाने पर उसमें स्वंय सोचने की क्षमता आ गई है। कंप्यूटर एक मशीन के साथ-साथ एक संरचना भी है, और यह संरचना हार्डवेयर, प्राणाली सॉफ्टवेयर, और यूजर इनकी ओर झुकी हुई दिखाई देती है।
संदर्भ :-1 गोपीचन्द नारंग, संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद,एंव प्राच्य काव्यशास्त्र
2 कंप्यूटर विज्ञान, दिल्ली प्रकाशन

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