30 मार्च 2010

संपादक के की-बोर्ड से ……..

संपूर्ण जीवजगत में मनुष्य एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसकी अपनी संस्कृति और सभ्यता है। यदि हम ऐतिहासिक विकास की दृष्टि से देखें तो आज जो भी है उसे मनुष्य ने अर्जित या विकसित किया है। अब यदि इस बात पर विचार किया जाए कि इसका कारण क्या है? तो जो सबसे मूल बात उभरकर आती है वह यह है कि ‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह स्वयं विचार करता है और एक दुसरे से विचारों का आदान-प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त वह अपने आस-पास की हर वस्तु के संदर्भ में जानने का प्रयास करता है और जो कुछ जान पाता है उसका ज्ञान के रूप में संचय और प्रसार करता है।‘ इन सभी के मूल में जो व्यवस्था कार्य करती है वह 'भाषा’ है। इसके अतिरिक्त भाषा आधारित अन्य माध्यमों जैसे दूरदर्शन, दूरध्वनि, दूरसंचार-माध्यम, संगणक, पत्रिकाएँ, पुस्तकें भित्ति पत्रिकाएँ आदि से ज्ञान और विचारों का आमोद-प्रमोद तथा वर्धन होता है।
भाषा आधारित इन प्रयासों की दौड़ में हमारा भी एक प्रयास है जो ‘प्रयास’ मासिक भित्ति पत्रिका रुप मे कार्य कर रहा है। इसका भी एक ही लक्ष्य है कि ज्ञान वर्धन करना तथा ज्ञान का लोकार्पण करना। भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग की ‘प्रयास’ पत्रिका की शुरुवात 9 अप्रैल 2009 को हुई थी। उसका 9 अप्रैल 2010 को एक वर्ष पूर्ण हो जायेगा। यह इसकी उपलब्धि ही मानी जायेगी। प्रयास पत्रिका को सफल बनाने में भाषा विद्यापीठ के समस्त शिक्षको, विद्यार्थीयों तथा अन्य विभागीय विद्यार्थींयो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिन्होंने अपने आलेखों द्वारा प्रयास भित्त पत्रिका को सुसज्जित किया।
गुंजन

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