01 जनवरी 2010

भाषा विकास में जिस्ट प्रौद्योगिकी का योगदान

योगेश उमाले,
भाषा विद्यापीठ
म.गा.अ.हि.अवि.वि., वर्धा
लेक्ट्रॉनिकी विभाग द्वारा आरंभ की गई एक परियोजना के अंतर्गत जिस्ट इलेक्ट्रॉनिकी (graphics and Intelligence Based script Technology) का विकास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपूर में किया गया। इस प्रौद्योगिकी पर आधारित एक एकीकृत देवनागरी टर्मिनल का विकास 1984 में किया गया। जिसका प्रयोग यूनिक्स पर चलने वाले कंप्यूटरों पर किया जा सकता था। बाद में यह महसूस किया गया कि चूंकि सभी भारतीय भाषाएं एक ही ध्वनिक वर्ण की कोटी में आती हैं। इसलिए इसी प्रौद्योगिकी के आधार पर बहुभाषी समाधान का विकास किया जा सकता है। इस पर आगे कार्य किया गया और जिस्ट प्रौद्योगिकी में बहुभाषी संसाधन की क्षमता विकसित करके अंग्रेजी तथा विभिन्न लिपियों का समावेश किया गया।
वर्ष 1998 उन्न्त अभिकलन विकास केन्द्र (C-DAC) के गठन के पश्चात जिस्ट प्रौद्योगिकी पर और आगे विकास का कार्य वहॉं किया गया तथा डॉस (DOS) परिवेश में कार्य करने के लिए डॉस IBM PC अनुरूपी GIST Add-On हार्डवेयर कार्ड का विकास हुआ और साथ ही अंग्रेजी तथा भारतीय भाषाओं की लिपियों के साथ-साथ पर्सों, अरबी, यूरोपीय, रूसी, सिंहल, तिब्बती, भूटानी तथा थाई भाषाओं का भी प्रावधान किया गया। जिस्ट प्रौद्योगिकी में इस समय भारतीय भाषाएं शामिल हैं – 1. असमी, 2. बंगला, 3. हिन्दी, 4. मराठी, 5. गुजराती, 6. गुजराती, 6. कन्नड़, 7. मलयालम, 8. नेपाली 9. उड़िया 10. पंजाबी 11. तमिल 12. तेलगू
जिस्ट प्रौद्योगिकी शब्द संसाधन के लिए स्क्रिप्ट पेज पर तथा डेटा संसाधन के लिए डेटा पेज पर कार्य करती है। इसमें अंग्रेजी के विद्यमान पैकेजों (वर्ड-स्टाट, डीबेस आदि) का इस्तेमाल विभिन्न भारतीय भाषाओं के लिए भी किया जा सकता है। इस प्रौद्योगिकी के लिए INSCRIPT कुंजीपटल का प्रयोग विभिन्न भाषाओं के लिए किया जा सकता है। इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि यह ध्वन्यात्मक कुंजीपटल है। अर्थात् किसी शब्द के उच्चारण में वर्ण जिस क्रम में होते हैं, उसको उसी क्रम में टाइप किया जाता है। उदाहरण के लिए “पारदर्शिता” लिखने के लिए टाइप करने का क्रम होगा- प+आ+र+द+अ+र+अ+श+अ+ई+त+आ होगा। इसमें भारतीय भाषाओं के बीच एक लिपी से दूसरी लिपि में परिवर्तन अर्थात् लिप्यांतरण की सुविधा है। मान लिजिए श्री पिल्लै को उत्तर प्रदेश की जनसभा में हिन्दी में भाषण देना है लेकिन वे हिन्दी में पढ़ना या लिखना या धारा प्रवाह रूप से बोलना नहीं जानते। ऎसी स्थिति में हिन्दी में तैयार उनके भाषण का लिप्यंतरण मलयालम लिपि हो जाएगा जो हिन्दी के ही तरह होगा जिसे पढ़ने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

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