12 अप्रैल 2010

अनुवाद के क्षेत्र में डॉ. गार्गी गुप्त का योगदान

सुभेध खु. हाडके

एम.ए., अनुवाद-प्रौद्योगिकी विभाग


वह समय था जब पाश्चात्य देशों में अनुवाद सिध्दान्त पर खूब चर्चा परिचर्चाएँ की जाती थी, पर भारत में साहित्य के क्षेत्र में इस विधा को पूर्णरूपेण मान्यता नहीं मिल पाई थी । ऐसे समय में इस विधा को प्रतिष्ठित करने का बडा कार्य डॉ. गार्गी गुप्त ने उठाया ।

डॉ गार्गी गुप्त का जन्म 2 अक्टूबर 1929 को मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश में हुआ । 2 अक्टूबर का दिन भारत के इतिहास में परम पुनीत दिवस माना जाता है क्योंकि इस दिन कई महान विभूतियों का जन्म इस देश में हुआ है । बाल्यकाल से ही विलक्षण प्रतिभा प्राप्त गार्गी गुप्त जी उपनिषदों की विख्यात विदुषी 'गार्गीजी' के संस्कार लेकर वर्तमान युग में नया दायित्व निभाने के लिए अवतरित हुई थीं। उन्होंने स्वाधिनता प्राप्ती के पश्चात नवोदित राष्ट्र की गरिमा के अनुरूप राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रगति रथ चक्र को आगे बढाने के लिए हिन्दी प्रेमियों को साथ कदम मिलाकर चलने के लिए अपने जीवन चक्र को एक नई दिशा प्रदान की और अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने देश विदेश में हिंदी साहित्य का अध्ययन-अध्यापन करने के साथ-साथ विदेशी भाषाओं का भी अध्ययन करके अनुवाद को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और जीवन पर्यंत विविध राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं एवं संस्कृतियों के बीच समन्वय स्थापित करने का अथक प्रयास किया ।

डॉ. गुप्त ने दिल्ली विश्वविद्यालय से रूसी भाषा में रूसी पेरू विश्वविद्यालय, इटली से इतालवी भाषा में डिप्लोमा किया । कोलम्बिया ग्रेज्युएट स्कुल ऑफ जर्नलिस्ट अमेरिका से पत्रकारिता में एम.ए. किया और 'रामकाव्य परम्परा में रामचंद्रिका का विशेष अध्ययन' विषय में शोध प्रबंध के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय से पी एच.डी. की उपाधी प्राप्त की। तदनंतर विभिन्न विद्यालयों और बाद में गृह मंत्रालय में 2 वर्ष तक हिंदी का अध्ययन का कार्य करने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग में उपसंपादक के पद पर कार्य किया । इस दौरान उन्होंने लगभग 30 पुस्तक पुस्तिकाओं का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद किया और 'बालभारती' पत्रिका में संपादन सहयोग एवं स्वतंत्र लेखन किया । फिर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अनुवाद प्रमाण पत्र पाठयक्रम में प्राध्यापक के पद पर कार्य करते हुए अनुवाद के क्षेत्र में एक नई शुरूआत की । फिर वेनिस विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा-विभाग में हिन्दी प्राध्यापक के रूप में कार्य किया । इस प्रकार उन्होंने न केवल देश में बल्कि विदेश में भी हिन्दी से जुडे विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए हिन्दी की प्रगति एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया ।

भारतीय अनुवाद परिषद की संस्थापिका डॉ. गार्गी गुप्त के पूरे परिचय के लिए भारतीय अनुवाद परिषद महत्वपूर्ण है । सन 1964 में भारतीय अनुवाद परिषद की स्थापना करके डॉ. गार्गी गुप्त ने एक नए युग का सुत्रपात किया । भारतीय अनुवाद परिषद विगत 34 वर्षो से अनुवाद, भाषा, साहित्य, शोध, शिक्षण - प्रशिक्षण तथा सृजनात्मक चिंतन-मनन में कार्यरत एवं समर्पित पंजीकृत संस्था है जो मूल साधक की तरह राष्ट्रहित के गम्भीर दायित्व का अनवरत निर्वाह कर रही है। विद्वत समाज का अभिनन्दनध्द-सम्मान तथा पुरस्कार स्वरूप श्रध्दा अर्पित करने वाली इस संख्या ने समय-समय पर देश-विदेश के अनुवादविदों एवं सेवियों को सम्मानित तथा अपने सीमित साधकों के बावजूद पुरस्कृत करने का कार्य कर रही है।

अनुवाद परिषद ने अपनी इस 34 वर्षीय सुदीर्घ यात्रा में जो उर्जा प्राप्त की उसका श्रेय डॉ. गार्गी गुप्त की विशेष भूमिका से है तथा उनके कर्मठ सहयोगियों के त्याग, परिप्रेम, तथा संकल्प से कार्य आगे बढ. रहा है। भारतीय अनुवाद परिषद ने केवल अनुवाद जगत में अपितु अनुवाद अनुविक्षण का मानक रूप स्थपित करने के क्षेत्र में भी एक किर्तिमान स्थपित कर रही है। अनुवाद-प्रशिक्षण, अनुवाद-संबंधी पुस्तकों, शोध ग्रंथों का प्रकाशन, अनुवाद विषयक वाद-विवाद प्रतियोगिताओं अनुवाद विषयक अनुशिक्षण चर्चाओं (कार्यशाला) का नियमित आयोजन जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों को कार्यन्वित करने का प्रमुख कार्य परिषद कर रही है।

अनुवाद जगत में अनेक ऐसे अनुवादकों, साहित्य-सेवाओं तथा नवोन्मेष शालिनी प्रतिभाओं को अनुवाद की दिशा में प्रेरित-प्रोत्साहित करना परिषद का मूल उद्देश्य है जिनकी प्रतिभा से राष्ट्र-हित एवं विश्व कल्याण का स्वप्न साकार हो रहा है। तभी आज समस्त जगत में अनुवाद को सृजनात्मक-साहित्य के समकक्ष देखा जा रहा है।

संदर्भ- 1. अनुवाद अंक july - December 1998, 2. अनुवाद अंक july - December 1999, 3. अनुवाद अंक 2008


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें