12 अप्रैल 2010

मगही (भाषा) की लिंग व्यवस्था

सत्‍येन्‍द्र कुमार

पी-एच.डी. भाषा-प्रौद्योगिकी


किसी भी भाषा का संश्लिष्ठ रूप उसकी सुदृढ़ता को, सुगठता को दर्शाता है, विशेषकर उसका सरलीकृत रूप में संश्लिष्ठ होना। उक्त आशय से संबंधित हिंदी की बोली मगही में लिंग के लिए यह बात सटीक बैठती है। मगही भाषा बोलनेवालों का एक अच्छा खासा क्षेत्र है, जिसमें 'बिहार' राज्य के पटना और उसके आस-पास के जिले जहानाबाद, गया, नालंदा और जमुई आदि प्रमुख हैं।

मगही भाषा में अगर लिंग की बात करें तो इस भाषा में एक ही लिंग दृष्टिगोचर होता है। यथा हिंदी व मगही के उदाहरण समानांतर दिए गए हैं-

हिंदी मगही

1. आप कहाँ जा रहे हैं? 1. अपने कहाँ जा रहलखिंन हें?

2. आप कहाँ जा रही हैं? 2. अपने कहाँ जायतहथिंन?

(आदरार्थक पुलिंग/स्त्रीलिंग प्रधान वाक्य )

3. तुम क्या कर रहे हो? 3. तू कउची कर रहलें हे \

4. तुम क्या कर रही हो? 4. तू कउची करीत हे ?

5. तू क्या कर रहा है? 5. तो कउची कर रहले हें\

6. तू क्या कर रही है? 6. तों कउची करीत हें\

उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि हिंदी और मगही की लिंग व्यवस्था में व्यापक अंतर है। हिंदी में जहाँ दो लिंग की व्यवस्था है वहीं इसकी बोली मगही में एक लिंग से ही स्त्री और पुरूष को संबोधित किया जा सकता है जिससे निश्चित रूप से मगही भाषा को जानने, समझने एवं व्यवहार में लाने में आसानी होगी।

मगही में संबोधन चिह्न के द्वारा हम लिंग का निर्धारण करते हैं। वक्ता द्वारा उच्चरित वाक्य स्त्रीलिंग है या पुलिंग। जैसे:-

स्त्रीलिंग के लिए संबोधन- ''अगे''

पुलिंग के लिए संबोधन- ''अरे''

उक्त संबोधन के अलावा 'अजी' संबोधन स्त्रीलिंग और पुलिंग दोनों के लिए प्रयुक्त होता है। यथा: 'अजी की कर रहलहो हे/अजी का करीत ह। (ऐ जी- क्या कर रहे हैं/ऐ जी- क्या कर रही हैं )।

वर्तमान समय में भारतीय भाषा संस्थान मैसूर में बोलियों के भी कार्पस बनाए जा रहें हैं जिसके लिखित एवं मौखिक कॉरपोरा का उपयोग मशीनी अनुवाद में अपेक्षित होता है। ऐसे में हमें ज्ञात हो कि हरेक भाषा का अपना एक विशिष्ट महत्व होता है। इसलिए अगर हिंदी में या किसी भी समृध्द भाषा में किसी विश्ष्टि संकल्पना को उभारने के लिए शब्द नहीं हों और किसी अन्य भाषा या बोली में हों तो सहजता से ग्रहण किए जाते हैं इस दृष्टिकोण से कोई भी भाषा या बोली के बोलने वाले समुदाय चाहे वह अल्प हो या अधिक उसकी संकल्पनात्मक शब्दशक्ति का अपना महत्व होता है जिसकी मदद से दूसरी(अन्य)भाषाएँ समृध्द, सम्पन्न और सहज होती हैं।

वर्तमान युग प्रौद्योगिकी का युग है इस दृष्टि से मगही व हिंदी के तुलनात्मक विश्लेषणात्मक या विवरणात्मक अध्ययन के आधार पर विश्लेषित आंकड़ों को लिंग व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में तथा क्रिया रूपों को भी सरलता से मशीन हेतु सुग्राह्य बनाया जा सकता है क्योंकि (मगही में) लिंगानुसार क्रिया का रूप नहीं बदलता। इस प्रकार यह (मगही) जाटिलता के अभाव व सरलता के निकट होने से मानव एवं मशीन(विशेषज्ञ यंत्र/Expert System/ Computer) हेतु सरल एवं ग्राह्य है।

संदर्भ- मगही क्रियाओं का भाषावैज्ञानिक अध्ययन: शीला वर्मा

मगही की संयुक्त क्रियाओं का भाषावैज्ञानिक अध्ययन:डॉ. कुमार इंद्रदेव


1 टिप्पणी:

  1. (मगही में) लिंगानुसार क्रिया का रूप नहीं बदलता।

    लेकिन आपके लेख से प्रतीत होता है कि आपके क्षेत्र की मगही में लिंगानुसार क्रिया का रूप बदलता है !!!
    क्या मैं जान सकता हूँ कि मूल रूप से आप किस क्षेत्र के निवासी हैं ?

    आपके लेख में वर्तनी/ व्याकरण सम्बन्धी कुछ त्रुटियाँ हैं । निदर्शन हेतु कुछ का नीचे उल्लेख कर दिया गया है ।

    संश्लिष्ठ ---> संश्लिष्ट
    रहलखिंन ---> रहलखिन
    समृध्द ---> समृद्ध
    कोई भी भाषा या बोली के बोलने वाले समुदाय ---> किसी भी भाषा या बोली के बोलने वाले समुदाय

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