-प्रस्तुति
अम्ब्रीश त्रिपाठी
एम. फिल., भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग
अम्ब्रीश त्रिपाठी
एम. फिल., भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग
अमरिकी भाषावैज्ञानिक चार्ल्स. जे. फिल्मोर का जन्म सन् 1929 ई. में हुआ था जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बेर्किले में भाषाविज्ञान विभाग में प्रोफेसर थे। इन्होंने सन् 1961 ई. में मिशिगन विश्वविद्यालय से पी-एच.डी की उपाधि ग्रहण की। लगभग दस वर्षों तक ये ओव्यो स्टेट युनिवर्सिटी और एक वर्ष तक स्टैन्फोर्ड विश्वविद्यालय में CABS(Center for Advanced Study in the Behavoiural Science) से जुड़े रहने के उपरांत सन् 1961 ई. में भाषाविज्ञान के बेर्किले विभाग से संलग्न रहे।
फिल्मोर का प्रभावशाली कार्यक्षेत्र वाक्य-विन्यास(Syntax) और कोशीय अर्थविज्ञान(Lexical Semantics) रहा है। इन्होंने अपना शोध मुख्यतः वाक्य-विन्यास और कोशीय अर्थविज्ञान के प्रश्नों पर केन्द्रित किया तथा अर्थ के भाषिक रूप एवं पदार्थ व इसके प्रयोग के बीच के परस्पर संबंधों पर बल दिया। इनका संपूर्ण शोध अर्थविज्ञान के आधारभूत महत्त्व और वाक्य-विन्यास एवं रूपप्रक्रियात्मक दृश्यमान में इसकी अभिप्रेरक भूमिका को प्रदीप्त करने में रहा।
इनका तत्कालीन कार्य पॉल.के. एवं जॉर्ज लैकॉफ के सहयोग में संरचनात्मक व्याकरण के सिद्धांतों को सामान्यीकृत करने में रहा। इस कार्य के द्वारा एक ऐसी शोध परियोजना निर्देशित हो रही थी जिसमें इन सिद्धांतों के द्वारा वाक्य-विन्यासक्रमी, कोशीय विश्लेषण और जापानी पाठ का अनुवाद इंटरनेट पर उपलब्ध हो सके। इस कार्य में इनके साथ अन्य विद्यार्थी जैसे- लॉस माइकल, क्रीस जॉनसन, लेन टालमी और इव स्वीटसर भी सम्मिलित थे।
इनका वर्तमान कार्य कंप्युटेशनल कोशनिर्माण क्षेत्र से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं पर है जिसमें एक प्रमुख परियोजना “बंध जाल”(Frame Net) नाम से प्रसिद्ध है जो अंग्रेजी शब्द-संग्रह(Lexicon) का एक विस्तृत ऑनलाईन विवरण है। इस परियोजना में प्रत्येक शब्दों का विवरण उनके द्वारा निर्मित “बंधों” की शब्दावली में दिया गया है। इसके आंकड़ों को अर्थीय और वाक्यीय संबंधों पर टिप्पणी करने हेतु “ब्रिटिश राष्ट्रीय कार्पस(British national corpus)” से इकठ्ठा किया गया है तथा इसे कोशीय मदों(Lexical items) और बंधों द्वारा संगठित डाटाबेस में संग्रहित किया गया है।
यह परियोजना Internetional Journal of Lexicography के Issue 16 से प्रभावित है जो संपूर्ण रूप से इस कार्य के लिए समर्पित था। इसके साथ ही यह समानांतर चल रहे परियोजनाओं से भी प्रेरित है, जो अन्य भाषाओं जिसमें स्पेनिश, जर्मन और जापानी सम्मिलित है, में संलग्न है। इस परियोजना से संबंधित विवरण परियोजना के वेब पेज http://www.icsi.berkeley.edu/~framenet पर उपलब्ध है।
अपने जीवनकाल में भाषाविज्ञान और कंप्युटेशनल भाषाविज्ञान पर दिए गए इनके मौलिक विचारों का संग्रह निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत है :-
“The Case for Case”(1968).
“Frame semantics and the nature of language”(1976)
“Frame semantics”(1982). In Linguistics in the Morning Calm.
“Starting where the dictionaries stop: The challenge for computational lexicography.”(1994). .
Lectures on deixis(1997).
“Towards a frame-based lexicon: the case of risk”
“Corous linguistics” vs “Computer-aided armchair linguistics.” Directions in corpus. Linguistics. 1992
“Humor in academic discourse.” Its What going on Here?
इस प्रकार यह देखा जाता है कि फिल्मोर ने मात्र भाषा के संरचनात्मक पक्ष पर ही बल नहीं दिया अपितु संरचना की व्यवस्था से प्रस्तुत अर्थ पर भी बल दिया जिससे भाषाविज्ञान के अध्ययन में नया अयाम जुड़ा।
फिल्मोर का प्रभावशाली कार्यक्षेत्र वाक्य-विन्यास(Syntax) और कोशीय अर्थविज्ञान(Lexical Semantics) रहा है। इन्होंने अपना शोध मुख्यतः वाक्य-विन्यास और कोशीय अर्थविज्ञान के प्रश्नों पर केन्द्रित किया तथा अर्थ के भाषिक रूप एवं पदार्थ व इसके प्रयोग के बीच के परस्पर संबंधों पर बल दिया। इनका संपूर्ण शोध अर्थविज्ञान के आधारभूत महत्त्व और वाक्य-विन्यास एवं रूपप्रक्रियात्मक दृश्यमान में इसकी अभिप्रेरक भूमिका को प्रदीप्त करने में रहा।
इनका तत्कालीन कार्य पॉल.के. एवं जॉर्ज लैकॉफ के सहयोग में संरचनात्मक व्याकरण के सिद्धांतों को सामान्यीकृत करने में रहा। इस कार्य के द्वारा एक ऐसी शोध परियोजना निर्देशित हो रही थी जिसमें इन सिद्धांतों के द्वारा वाक्य-विन्यासक्रमी, कोशीय विश्लेषण और जापानी पाठ का अनुवाद इंटरनेट पर उपलब्ध हो सके। इस कार्य में इनके साथ अन्य विद्यार्थी जैसे- लॉस माइकल, क्रीस जॉनसन, लेन टालमी और इव स्वीटसर भी सम्मिलित थे।
इनका वर्तमान कार्य कंप्युटेशनल कोशनिर्माण क्षेत्र से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं पर है जिसमें एक प्रमुख परियोजना “बंध जाल”(Frame Net) नाम से प्रसिद्ध है जो अंग्रेजी शब्द-संग्रह(Lexicon) का एक विस्तृत ऑनलाईन विवरण है। इस परियोजना में प्रत्येक शब्दों का विवरण उनके द्वारा निर्मित “बंधों” की शब्दावली में दिया गया है। इसके आंकड़ों को अर्थीय और वाक्यीय संबंधों पर टिप्पणी करने हेतु “ब्रिटिश राष्ट्रीय कार्पस(British national corpus)” से इकठ्ठा किया गया है तथा इसे कोशीय मदों(Lexical items) और बंधों द्वारा संगठित डाटाबेस में संग्रहित किया गया है।
यह परियोजना Internetional Journal of Lexicography के Issue 16 से प्रभावित है जो संपूर्ण रूप से इस कार्य के लिए समर्पित था। इसके साथ ही यह समानांतर चल रहे परियोजनाओं से भी प्रेरित है, जो अन्य भाषाओं जिसमें स्पेनिश, जर्मन और जापानी सम्मिलित है, में संलग्न है। इस परियोजना से संबंधित विवरण परियोजना के वेब पेज http://www.icsi.berkeley.edu/~framenet पर उपलब्ध है।
अपने जीवनकाल में भाषाविज्ञान और कंप्युटेशनल भाषाविज्ञान पर दिए गए इनके मौलिक विचारों का संग्रह निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत है :-
“The Case for Case”(1968).
“Frame semantics and the nature of language”(1976)
“Frame semantics”(1982). In Linguistics in the Morning Calm.
“Starting where the dictionaries stop: The challenge for computational lexicography.”(1994). .
Lectures on deixis(1997).
“Towards a frame-based lexicon: the case of risk”
“Corous linguistics” vs “Computer-aided armchair linguistics.” Directions in corpus. Linguistics. 1992
“Humor in academic discourse.” Its What going on Here?
इस प्रकार यह देखा जाता है कि फिल्मोर ने मात्र भाषा के संरचनात्मक पक्ष पर ही बल नहीं दिया अपितु संरचना की व्यवस्था से प्रस्तुत अर्थ पर भी बल दिया जिससे भाषाविज्ञान के अध्ययन में नया अयाम जुड़ा।
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